झुकी पलकों से, अगरचे तू मिरे कूचे में, कोई शब, दीदार दे दे। झुकी पलकों से, अगरचे तू मिरे कूचे में, कोई शब, दीदार दे दे।
पढ़कर हर शख्स झूमता है उसके हर फ़साने पर। पढ़कर हर शख्स झूमता है उसके हर फ़साने पर।
तुम तड़पोगी,तुम तरसोगी हमारे लिए मेरी जुदाई में आह होगी,आवाज़ नहीं तुम तड़पोगी,तुम तरसोगी हमारे लिए मेरी जुदाई में आह होगी,आवाज़ नहीं
उन के भी दुर्दम्य इरादे, वीणा के स्वर पर ठहरेंगे निकल पडे हैं पांव अभागे,जाने कौन डगर उन के भी दुर्दम्य इरादे, वीणा के स्वर पर ठहरेंगे निकल पडे हैं पांव अभागे,जाने...
कभी तो उसका रंग बदल जाता, कभी बात करने का ढंग बदल जाता I कभी तो उसका रंग बदल जाता, कभी बात करने का ढंग बदल जाता I
आज बदल गई है फितरत इन्सान की क्यूँ समझ वो पाते नही। आज बदल गई है फितरत इन्सान की क्यूँ समझ वो पाते नही।